कालसर्प दोष पूजा के अलावा पंडित जी ने नवग्रह शांति, मंगलभात पूजा, मंगलशांति पूजा, रुद्राभिषेक, ग्रह दोष निवारण, पितृ दोष निवारण केमद्रुम दोष , जैसे अनुष्ठानों को सम्पूर्ण वैदिक पद्धति द्वारा संपन्न किया है |इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय जाप, दुर्गा सप्तसती पाठ भी आवश्यकता के अनुसार करते हैं, पंडित जी कुम्भ विवाह, अर्क विवाह, जन्म कुंडली अध्ययन अवं पत्रिका मिलान में भी सिद्धस्त हैं, इन समस्त कार्यों के साथ-साथ पंडित जी पुत्रप्राप्ती के लिए विशेष पूजन किया जाता है तथा वास्तु पूजन, वास्तु दोष निवारण एवं व्यापर व्यवसाय वाधा निवारण का पूजन भी सम्पूर्ण विधि विधान से करते हैं।
दोष निवारणार्थ अनुष्ठान, मंगल दोष निवारण (भातपूजन), सम्पूर्ण कालसर्प दोष निवारण, नवग्रह शांति, पितृदोष शांति पूजन, वास्तु दोष शांति, द्विविवाह योग शांति, नक्षत्र/योग शांति, रोग निवारण शांति, समस्त विध्न शांति, विवाह संबंधी विघ्न शांति, नवग्रह शांति
कामना पूर्ति अनुष्ठान, भूमि प्राप्ति, धन प्राप्ति, शत्रु विजय प्राप्ति, एश्वर्य प्राप्ति, शुभ (मनचाहा) वर/वधु प्राप्ति, शीघ्र विवाह, सर्व मनोकामना पूर्ति, व्यापार वृध्दि, रक्षा कवच, अन्य सिद्ध अनुष्ठान एवं पूजन
पाठ, जाप एवं अन्य अनुष्ठान, दुर्गासप्तशती पाठ, श्री यन्त्र अनुष्ठान, नागवली/नारायण वली, कुम्भ/अर्क विवाह, गृह वास्तु पूजन, गृह प्रवेश पूजन, देव प्राण प्रतिष्ठा, रूद्रपाठ/रूद्राभिषेक, विवाह संस्कार
चंडी पाठ को दुर्गा सप्तशती या दुर्गा पाठ भी कहा जाता है। ये शक्ति की देवी माता दुर्गा के राक्षस महिषासुर पर जीत की कहानी कहता है। इसमें कुल 700 श्लोक है। साथ ही ये भी जानना जरूर है कि दुर्गा सप्तशती में अध्याय एक से तेरह तक तीन चरित्र विभाग हैं। यह पाठ माता दुर्गा की अराधना का सबसे मुख्य तरीका है।
चंडी पाठ या दुर्गा सप्तशती के छह अंग भी हैं। ये इन तेरह अध्याय को छोड़कर हैं। कवच, कीलक, अर्गला दुर्गा सप्तशती के पहले तीन अंग और प्रधानिकम रहस्यम, वैकृतिकम रहस्यम और मूर्तिरहस्यम आदि तीन रहस्य हैं। इसके अलावा और कई मंत्र भाग है। इन सभी को पूरा करने के बाद ही चंडी पाठ पूरा होता है।
नवरात्रि में इसे विशेष तौर पर कई घरों में पढ़ा जाता है। ऐसी मान्यता है कि चंडी पाठ करने से भय और पापों का नाश होता है। साथ ही संकट से निवारण, शुभ फल मिलते हैं और शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है।
रामायण की कहानी में भी इसका जिक्र जब भगवान राम ने लंकापति रावण से युद्ध की शुरुआत करने से पहले समुद्र तट पर चंडी पाठ किया था।
सभी प्रकार के पूजन, दोष निवारण एवं मांगलिक कार्य आपके घर, कार्यालय या अन्य स्थानों पर किये जाते हैं
शादी-ब्याह में इसकी प्रमुखता देखि जा रही है पर इस दोष के बहुत सारे परिहार भी है.
मंगल दोष निवारण भात पूजन द्वारा एक मात्र उज्जैन में ही भात पूजन कर मंगल शांति की जाती है।
जातक के पूर्वजन्म के जघन्य अपराध के दंड या शाप के फलस्वरूप उसकी जन्मकुंडली में परिलक्षित होता है।
देवी के दस महाविद्या स्वरुप में एक स्वरुप माँ बगलामुखी का है. इन्हें पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है.......................
महामृत्युंजय मंत्र वेदों में प्राचीन वेद ऋग्वेद का एक श्लोक है जो भगवान शिव के मृत्युंजय स्वरुप को समर्पित है,................
नवग्रह नौ ब्रह्मांडीय वस्तुएं हैं और ऐसा कहा जाता है कि इनका मानव जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है।..............
जिनका मनुष्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। गुरू चांडाल योग बहुत ही अशुभ माना जाता है
रुद्राभिषेक करके आप शिव से मनचाहा वरदान पा सकते हैं. क्योंकि शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय हैैं,इतना प्रभावी और महत्वपूर्ण है